नन्हीं प्रिया के बड़े-बड़े सपने

भले ही उम्र और कद से प्रिया बहुत छोटी हो लेकिन उसके ख्वाब, उसकी ख्वाहिशें और विचार उसे बहुत बड़ा बना देते हैं। खेलने-कूदने और मासूम दुनिया में अटखेलियां करने की उम्र में ही प्रिया ने अपने कद से बड़े सपने बुन रखे हैं। उसका पहला सपना शिक्षिका के रूप में आत्मनिर्भर बन अपने पैरों पर खड़े होने का हैं। दूसरा, अपने अच्छे कार्यों से अपने परिजनों, अध्यापिकाओं और संस्थाओं को गौरवान्वित करने का हैं। तीसरा, अपने गांव की हालत में सुधार करना और अपने दादी-दादा के लिए बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करना है। वह साथ ही माता-पिता के भी बुढ़ापे का सहारा बनने का ख्वाब रखती है ताकि उन्हें अपने जीवन के अंतिम क्षणों में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी का मोहताज न बनना पड़े।

इसके अलावा भी प्रिया के कई छोटे, बड़े और मासूम सपने हैं जिन्हें पूरा करने का वह हर क्षण प्रयास करती रहती है। यही कारण है कि प्रिया की मेहनत जल्द हर रंग दिखाने लगी है। इस होनहार ने अपनी कक्षा में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पहला स्थान हासिल किया। वह अपने भाई राज के नक्शे कदम पर चल रही है। राज ने भी 85 प्रतिशत अंक पाकर कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त किया और अपने से जुड़ें लोगों को गौरवान्वित महसूस कराया।

बच्चे देश का भविष्य होते हैं। प्रिया जैसे बच्चों की कुशल व शिक्षित सोच, जिम्मेदारीपूर्ण विचार, कर्तव्यनिष्ठता, से बुने ख्वाब सीखने और प्रेरित होने के साथ ही अत्यंत विचारणीय हैं। ऐसी नन्हीं कली या नन्हें पक्षी को पंख देने के लिए हम सभी को तत्पर होना चाहिए, जिससे कि कली पुष्प बनकर जहां को महका सकें और नन्हा पक्षी पंख पाकर आसमान की बुलंदियों तक पहुच सकें।